समय की बहती धार,
रिश्तों को छु जातें हैं ,
कुछ रिश्ते छुट जातें हैं,
कुछ मुड जातें हैं
एक पल था जब तुम हर पल साथ थे,
एक आवाज़ और तुम मेरे पास थे,
खुदा भी इतना पास न था,
तुम इतने मेरे पास थे,
समय ने सब बदल दिया,
हवा ने मुख मोड़ लिया,
तुम तक मेरी नवाज़ न पहुंचें
समय ने ऐसे कुछ कर दिया,
जाने तुम कहाँ चले गए,
जाने कहाँ ग़ुम हो गए तुम,
जाने कहाँ चले गए तुम,
रूह हर पल याद करती तुम्हें,
उन लम्हों को पकडे हुए हैं हम ,
जाने तुम कहाँ चले गए,
इन लम्हों ने दिए कई ग़म,
पल पल अश्रु बहते,
अक्सर तुम्हारी राहें ताकते,
कैसे समझाऊँ इनको,
क्या बताऊँ इनको,
तुम क्यूँ हो इतना दूर,
क्या था इनका कसूर,
जाने तुम कहाँ चले गए
अक्सर तेरी याद आती है,
अक्सर रूह तुम्हें बुलाती है,
उन लम्हों को पकड़ जी रहें हम,
उन साँसों को पकड़ जी रहें हम,
लौट आओ ये दिल कह रहा है,
एक पल आओ ये दिल कह रहा है,
जाने तुम कहाँ चले गए ......
No comments:
Post a Comment