Monday, May 24, 2010
भक्ति के रंग
एक बार ज़िन्दगी रू बरू आ गयी,
चलते हुए पुचा,
कौन हो तुम,
कहाँ जा रहे हो ,
इन आँखों में क्या ,
इन होटों पे क्या ,
तुम्हारे हाथों में क्या ,
मेरे संग चलो,
मुझसे क्यों हो जुदा .....
मुस्कराते हुए मैंने कहा,
तुझसे नहीं कोई शिकवा ,
माधव को मैं खोज रहा,
न जाने कब से खोज रहा,
मीरा की भक्ति समटे हुए ,
राधा की शक्ति समटे हुए ,
जीवन की सोम्यता लिए हुए,
कबसे माधव को खोज रहा ............
माधव तुम कब आओगे,
एक जीवन ने मेरे जीवन को दिया एक रंग,
नहीं जानता क्या है वो रंग,
कितनी सुन्दर है वो रंग,
रंग रंग से भरा मेरा अंग,
रंग रंग से भरा मेरा मन,
जीवन के इस रूप में तुम आ ही गए,
मुझ में तुम समां ही गए ....................................
तुमसे दूर जा न सकूं,
मुझसे दूर तुम जा न सको ,
माधव कुछ ऐसा करो ,
मैं जीवन से दूर जा न सकूं,
और जीवन दूर न जा सके ,
तुझमें मैं लीन हो जाऊं ,
और माधव तुम मुझ में .......................
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