Thursday, September 9, 2010

दास्ताँ पल पल की

 ज़िन्दगी इधर भी है,
  ज़िन्दगी उधर भी,
पल पल की  दास्ताँ उधर भी,
  कुछ छोटे पल की दास्ताँ इधर भी

तुम जो कह गए,
 खुदा ने सुना,
तुम जो मांग गए,
   खुदा ने सुना,

हमने तो बस पल ही देखा,
  पल पल ही समेटा,
खुद को मालूम नहीं किस पल से जुड़े हुए ,
  तुझसे कुछ ऐसे जुड़े की,
हाथों ने तुझे खुदा बनाया,
  उस पल को सोचते जिस पल को तुझे खुदा बनाया,

हम तो उस पल के राही,
  जिस पल में तुम कुछ दे जाओ,
इन आँखों को उस पल की तलाश,
   जिस पल के लिए तुझे खुदा ने बनाया......

दास्ताँ बस पल पल की .... इस पल से उस पल तक की.......