Wednesday, December 2, 2009

हैरान सी ज़िन्दगी

अजब सी है ये दास्तान,
कहानी कुछ ऐसी .... ज़िन्दगी हर तरफ दिख रही है परेशान,
मूढ़  के पीछे देखूं,
तो हर तरफ है कुछ कोलाहल,
कुछ गुज़र गए और कुछ आने वालें हैं कल!

कुछ ऐसे कोलाहल,
की मन दोल जाये,
हस्त हुआ इंसान कुछ ही पल में रो जाये,
जो पाया था गुम हो गया,
जो  कभी न सोचा वो हो गया,
पल में जीवन बदल गया,
पल में सब कुछ निकल गया,
अय ज़िन्दगी क्या मिला तुझे,
क्यूँ किया ऐसे,
हमने कभी न ऐसे सोचा था,

ना ही वो ऐसा था,
कितना और सहे हम?
कितने काटों से और गुज़रे हम,
ज़िन्दगी क्या ऐसे ही कट जाये?
साँसें क्या ऐसे ही रुक जाये?

है बस एक छोटा सा एहसास,
है बस दो बूँद की प्यास,

ज़िन्दगी तू इतना बता,
कब लौटाओगे मेरी वो साँसें,
वो अनमोल साँसें जिनमे थी कितनी प्यारी बातें,
कुछ ऐसी बातें जो बनाती हैं ज़िन्दगी को आसान,
कभी न सोचे हम, की ज़िन्दगी क्यूँ है हैरान...

पर हो तो तुम ज़िन्दगी.... हमेशा परेशान और हैरान.........

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